मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Wednesday, November 3, 2010
8.
हर दिन हर वक्त खुशियों से गुलजार हो जाए ,
हर कोई हर दुःखों से पार हो जाए ,
हर गम हर बैर भुला दे हर कोई ,
इस दिवाली खुशहाल संसार का सपना साकार हो जाए |
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