मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Monday, July 4, 2011
राहें मुश्किल हो अगर तो हो जाये ऐ "दीप",
साहस की डोर हो तो हल मिल ही जाता है;
क्या हुआ जो नैया मझधार में डोल जाये,
आशा और विश्वास हो तो साहिल मिल ही जाता है ।
1 comment:
महेन्द्र श्रीवास्तव
said...
वाह, क्या बात है
July 5, 2011 at 2:02 PM
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वाह, क्या बात है
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