नन्ही-सी देवी ने अवतार धर लिया,
मेरे मन मष्तिस्क को निसार कर दिया;
खुशियों की आज मेरी न सीमा है कोई,
बगिया को आज मेरे गुलजार कर दिया ।
सबको हँसी की सौगात देन आई,
दिल को एक सुन्दर जज्बात देने आई;
आना उसका सुखद है हम सबके लिए,
रत्नों के संग्रह में आफताब देने आई ।
जीवन के मुकुट में आज रत्न जड़ गया,
चलते-चलते रास्ता एक सोपान चढ़ गया;
"दीप" करे आभार जिसने दिया ये उपहार,
मेरे हृदय का आकार थोड़ा और बढ़ गया ।
2 comments:
भावमयी प्रस्तुति , बेहतरीन रचना.
shandar...kahan hain aajkal..bahut dino se ye khamshi kyon...
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