मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Thursday, September 8, 2011
घुमते रहे हम बेफिक्र हो जमाने में, किस्मत उलझी तो अपनो के ही आशियाने में |र हो जमाने में, किस्मत उलझी तो अपनो के ही आशियाने में |
1 comment:
prerna argal
said...
bahut badiyaa.badhaai aapko
September 9, 2011 at 8:20 PM
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1 comment:
bahut badiyaa.badhaai aapko
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