मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Saturday, January 29, 2011
हम चाहे तो आसमान को नीचे झुका दें,
हम चाहे तो धरती को चीर के दिखा दें;
हम हैं नौजवान,ना टकराना हमसे तुम,
हम चाहे तो मिनटों में ये दुनिया हिला दें।
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