मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Saturday, September 3, 2011
मयकदे में जाके होने लगे सब मय के दीवाने,
हम तो मयकश निगाहों में डूब कर हुए खुद से बेगाने |
1 comment:
Shalini kaushik
said...
bahut khoob pradeep ji.
रहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा.
September 3, 2011 at 1:13 PM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
bahut khoob pradeep ji.
रहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा.
Post a Comment