मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Thursday, October 7, 2010
2.
आपकी आँखें हैं या फूल कोई ,
डूबकर जायेगा इसमे भूल कोई ;
बड़े-बड़े चश्में लगाकर ढक लिया करो ,
डालकर भाग न जाए धूल कोई ।
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