मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Thursday, October 7, 2010
4.
एक हसीन आदत हमने जो पाल रखी है,
हर वक्त,हर कदम पे मुस्कुराने की;
वो सोचते हैं कि हम नाखुश बहुत हैं,
और ये आदत है मेरी गम छुपाने की ।
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