मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Saturday, October 9, 2010
5.
अक्श होते हैं पीने के लिए,
जिन्दगी होती है जीने के लिए;
दोस्तों की दोस्ती को भुला न करो वर्ना,
न मिलेगा कोई जख्म सीने के लिए |
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