मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Monday, October 25, 2010
6.
हम कोशिश में रहे उन्हे समझाने को,
वो जी-जान से लगे रहे हमें आजमाने को,
हमने लाख कहा कि ये क्रिकेट न होगा हमसे,
उन्होने मैदान में उतार दिया सिक्सर लगाने को|
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