मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Monday, May 23, 2011
चिंता नहीं चिंतन से प्यार है मुझको,
आत्म मंथन से कब इनकार है मुझको,
"दीप" कहे अत्यन्त कठिन स्वयं को समझना,
अंतरात्मा के आवाज से सरोकार है मुझको ।
1 comment:
Shalini kaushik
said...
bahut badhiya..
May 23, 2011 at 7:51 AM
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1 comment:
bahut badhiya..
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