Tuesday, June 28, 2011

दर्द-ए-ईश्क पत्थर को भी रुलाता है ऐ "दीप",
हर शख्स किसी न किसी के प्यार में खोया होगा;
यूँ ही नहीं गिरा करती हैं ओंस की बुँदे,
आसमान भी शायद किसी के गम मे रोया होगा ।

चकोर के दिल में भी उठती होगी चाँद के लिए हुक,
मयूर ने भी घटा संग प्रेम का बीज बोया होगा;
पत्थर दिल कहते हैं कि आँसू नहीं आते,
पर उसने भी किसी की याद मे आँख भिंगोया होगा ।

नदियों ने भी सौंपी होंगी सागर को ख्वाहिशे,
पौधे ने भी लताओ संग सपना संजोया होगा;
कभी खुशी तो कभी गम के आँसू देता ये दर्द,
इस दर्द को भी सबने सिद्दत से जीवन मे पिरोया होगा ।

Sunday, June 26, 2011

माँगा खुदा से जलसा तो तन्हाई दे दी,
मिलने की जब थी ख्वाहिश तो जुदाई दे दी,
चुन के भेजा नेताओं को कि होगा कुछ भला,
पर सरकार ने कमबख्त महँगाई दे दी ।

Tuesday, June 14, 2011

दिल की हस्ती किसी को क्या दिखाएँ "दीप",
गुम हो सकुँ ऐसा कोई मंजर नहीं मिलता;
नदियाँ तो अकसर मिल जाती हैं राहों में,
पर डूब सकुँ ऐसा कोई समन्दर नहीं मिलता ।