Saturday, September 24, 2011

जीतकर ईलाके में जो कभी दर्शन भी नहीं देते,

चुनाव से पहले भीख माँगने आ जाते हैं मुँह उठा के |
जब जब तेरे आगोश में आया,

दिल का हर दर्द यूँ चुटकी में भुलाया |

Thursday, September 15, 2011

किसी ने कहा सब कुछ ख़रीदा नहीं जा सकता,
बाज़ार में देखा तो हर चीज़ ही बिकती है |

Wednesday, September 14, 2011

ढ़ुँढ़ती है नजरे तुझे हर दिन और हर रात,

आईने में भी आँखे अब तो तुझे तलाशती हैं |

हिंदी मेरी जान है,
भारत की पहचान है ;
भारत भाल की बिंदी है,
निज भाषा अभिमान है |

खत्री से बच्चन तक ने,
सींचा जिसे वो प्राण है;
संस्कृत के वृक्ष से निकली,
अद्भुत भाषा महान है |

देश को जोड़े एक सूत्र में,
मधुर-सी एक तान है;
है इसका समृद्ध-साहित्य,
हिन्द की ये शान है |

हिंदी ही पूजा है सबकी,
हिंदी ही अजान है;
होली, दीवाली हिंदी है,
हिंदी ही रमजान है |

देश को विकसित कर सकती,
हिंदी गुणों की खान है;
हिंदी अहित है देश अहित,
हिंदी हिन्दुस्तान है |
हिंदी हिन्दुस्तान है |

Saturday, September 10, 2011

दिलोदिमाग में,
यूँ छाया करो,
पास कभी आओ,
या बुलाया करो;
वफा में जाँ,
हम भी दे देंगे,
बस ठेस न दो,
न रुलाया करो |

Thursday, September 8, 2011

घुमते रहे हम बेफिक्र हो जमाने में, किस्मत उलझी तो अपनो के ही आशियाने में |र हो जमाने में, किस्मत उलझी तो अपनो के ही आशियाने में |

Saturday, September 3, 2011

मयकदे में जाके होने लगे सब मय के दीवाने,
हम तो मयकश निगाहों में डूब कर हुए खुद से बेगाने |