Sunday, September 30, 2012


तेरी शोख अदाओं से प्यार किया है,
इस दिल ने तुझपे एतबार किया है ;
बनाया है तेरे ख्वाबों को मैंने अपना,
पल-पल तेरा ही इंतजार किया है |

Saturday, September 29, 2012

अकेला-सा हूँ, तन्हा हूँ तेरे बगैर,
इत्ती सी बात भी तेरे पल्ले नहीं पड़ी;
छोड़ जाते हो तनहाई के समंदर में,
क्यों दूर जाने की रहती है हड़बड़ी |
रह सकू सिर्फ तेरे संग वो जहान नहीं मिलता,
जला सकूँ खुद को वो शमशान नहीं मिलता;
इश्क में तेरे डूब जाने को दिल करता तो है,
पर टूट सकूँ जिसमे वो चट्टान नहीं मिलता |
दिल में तुम हो, यादों में तुम हो,
मेरी तो हर जज़्बातों में तुम हो;
तुम ही हो मेरी फितरत में शरीक भी,
अब तो मेरी हर बातों में तुम हो |
ख्वाब आँखों से झर जाते हैं अक्सर बूंदें बनकर,
बाकि रह जाते हैं बस अधूरे से निशां |
जिये तो उन्हे आगोश में लेकर, मरें तो उनकी आँखों में डूबकर,
हर सूरत-ए-हाल मुझे उनका ही दीदार चाहिए |
सितमगर ने यूं तो कर के देखे लाखों सितम हमपे,
पर तस्वीर को अपनी दिल से मिटा न पाये |
हमने उनसे एक ख्वाब जो मांग लिया,
लगता है जैसे कोई गुनाह कर लिया |
मेरी जिंदगी में उनकी दुआओं का असर है,
वरना हम तो बहुत पहले खो चुके होते |
काले लिबास में ये रात भी बड़ी हसीन लगती है,
शबनमी बूंदों के साथ ये कुछ गमगीन लगती है,
हिम्मत किसे है अंधेरे के अंदर झाँकने का ऐ "दीप",
तलब हो दिल में तो हर बात ही बेहतरीन लगती है |
कह कर तो चले गए कि तुम मुझे न याद आना,
पर तुम्हें याद करना मेरी मेरी जरूरत भी है और मजबूरी भी |
जिंदगी पे अपने अब एतबार नहीं होता,
आ जाओ कि अब इंतज़ार नहीं होता |
बढ़ा लो कदम उजाले की ऐ "दीप",
कैद कर रख सके अंधेरे में अब वो बात नहीं रही |

Monday, September 10, 2012


रोशनदानों से भी अक्सर झाँकते हैं अँधेरे,
वादियों में भी कहाँ बयार नजर आते हैं;
नकली चेहरा लिए बस घूमते हैं इंसान,
हर तरफ रंगे हुए सियार नजर आते हैं |

Sunday, September 9, 2012

ऐसा नहीं की मेरे इंतज़ार की उसे खबर नहीं,
तड़पाने की अदा तो उनके फितरत मे शुमार है |
जिंदगी उलझनों से भरी है तो क्या ऐ "दीप",
उलझनें ही अक्सर उलझनों को सुलझाने का जज़्बा देती हैं |
बुझे बुझे से लगते हो,
क्या ख्वाब समेटे रखा है,
मंजर तुम्हारी आँखों का,
कहे, आग समेटे रखा है |
भुला कर भी वो हमे भुला न पाये,
कोशिश मे मुझे भुलाने की खुद को ही भूल बैठे |
यादों में किसी के अकसर कट जाती है रात,
सुबह होता है एहसास कि आज तो हम सोये ही नहीं |
तड़प से मेरी गर उन्हें ख़ुशी मिल जाये,
तो ऐ खुदा ता उम्र मैं यूँ ही तड़पता ही रहूँ;
दूर रहकर ही मुझसे उन्हें सुकून आ जाये,
तो दुआ रहेगी बन खुशियाँ बरसता ही रहूँ |
♥पाकर तुझे कोई जीना ही भूल जाए,♥ 
♥जख्मों को अपने सीना ही भूल जाए,♥ 
♥डूबकर तेरी झील सी गहरी आँखों में,♥ 
♥एक मयकश भी शायद पीना ही भूल जाए |♥
♥बना देते हैं पागल मुझे काले ये दो नैन तेरे,♥ 
♥सुर्ख लब तेरे छीन लेते हैं सुकून-ओ-चैन मेरे,♥ 
♥कर देती है मदहोश ये मीठी सी मुस्कुराहट तेरी,♥ 
♥देख कर ही तुझको कट जाते हैं हर रैन मेरे |♥
♥•♥ दो पल के लिए तेरा हो जाने को दिल करता है,♥•♥ 
♥•♥ मदभरी इन आँखों में खो जाने को दिल करता है,♥•♥ 
♥•♥ दिल करता है छू लूँ तेरे इन नाजुक लबों को,♥•♥ 
♥•♥ तेरे आगोश में आके सो जाने को दिल करता है |♥•♥