Monday, December 17, 2012

देखो बु आ रही है ये दुनिया जलने की,

आज राह देखता सूरज शाम ढलने की,
जिंदगी हर एक की यहाँ पशोपेश में "दीप",
एक चुनौती है वक़्त के साथ चलने की |

Sunday, September 30, 2012


तेरी शोख अदाओं से प्यार किया है,
इस दिल ने तुझपे एतबार किया है ;
बनाया है तेरे ख्वाबों को मैंने अपना,
पल-पल तेरा ही इंतजार किया है |

Saturday, September 29, 2012

अकेला-सा हूँ, तन्हा हूँ तेरे बगैर,
इत्ती सी बात भी तेरे पल्ले नहीं पड़ी;
छोड़ जाते हो तनहाई के समंदर में,
क्यों दूर जाने की रहती है हड़बड़ी |
रह सकू सिर्फ तेरे संग वो जहान नहीं मिलता,
जला सकूँ खुद को वो शमशान नहीं मिलता;
इश्क में तेरे डूब जाने को दिल करता तो है,
पर टूट सकूँ जिसमे वो चट्टान नहीं मिलता |
दिल में तुम हो, यादों में तुम हो,
मेरी तो हर जज़्बातों में तुम हो;
तुम ही हो मेरी फितरत में शरीक भी,
अब तो मेरी हर बातों में तुम हो |
ख्वाब आँखों से झर जाते हैं अक्सर बूंदें बनकर,
बाकि रह जाते हैं बस अधूरे से निशां |
जिये तो उन्हे आगोश में लेकर, मरें तो उनकी आँखों में डूबकर,
हर सूरत-ए-हाल मुझे उनका ही दीदार चाहिए |
सितमगर ने यूं तो कर के देखे लाखों सितम हमपे,
पर तस्वीर को अपनी दिल से मिटा न पाये |
हमने उनसे एक ख्वाब जो मांग लिया,
लगता है जैसे कोई गुनाह कर लिया |
मेरी जिंदगी में उनकी दुआओं का असर है,
वरना हम तो बहुत पहले खो चुके होते |
काले लिबास में ये रात भी बड़ी हसीन लगती है,
शबनमी बूंदों के साथ ये कुछ गमगीन लगती है,
हिम्मत किसे है अंधेरे के अंदर झाँकने का ऐ "दीप",
तलब हो दिल में तो हर बात ही बेहतरीन लगती है |
कह कर तो चले गए कि तुम मुझे न याद आना,
पर तुम्हें याद करना मेरी मेरी जरूरत भी है और मजबूरी भी |
जिंदगी पे अपने अब एतबार नहीं होता,
आ जाओ कि अब इंतज़ार नहीं होता |
बढ़ा लो कदम उजाले की ऐ "दीप",
कैद कर रख सके अंधेरे में अब वो बात नहीं रही |

Monday, September 10, 2012


रोशनदानों से भी अक्सर झाँकते हैं अँधेरे,
वादियों में भी कहाँ बयार नजर आते हैं;
नकली चेहरा लिए बस घूमते हैं इंसान,
हर तरफ रंगे हुए सियार नजर आते हैं |

Sunday, September 9, 2012

ऐसा नहीं की मेरे इंतज़ार की उसे खबर नहीं,
तड़पाने की अदा तो उनके फितरत मे शुमार है |
जिंदगी उलझनों से भरी है तो क्या ऐ "दीप",
उलझनें ही अक्सर उलझनों को सुलझाने का जज़्बा देती हैं |
बुझे बुझे से लगते हो,
क्या ख्वाब समेटे रखा है,
मंजर तुम्हारी आँखों का,
कहे, आग समेटे रखा है |
भुला कर भी वो हमे भुला न पाये,
कोशिश मे मुझे भुलाने की खुद को ही भूल बैठे |
यादों में किसी के अकसर कट जाती है रात,
सुबह होता है एहसास कि आज तो हम सोये ही नहीं |
तड़प से मेरी गर उन्हें ख़ुशी मिल जाये,
तो ऐ खुदा ता उम्र मैं यूँ ही तड़पता ही रहूँ;
दूर रहकर ही मुझसे उन्हें सुकून आ जाये,
तो दुआ रहेगी बन खुशियाँ बरसता ही रहूँ |
♥पाकर तुझे कोई जीना ही भूल जाए,♥ 
♥जख्मों को अपने सीना ही भूल जाए,♥ 
♥डूबकर तेरी झील सी गहरी आँखों में,♥ 
♥एक मयकश भी शायद पीना ही भूल जाए |♥
♥बना देते हैं पागल मुझे काले ये दो नैन तेरे,♥ 
♥सुर्ख लब तेरे छीन लेते हैं सुकून-ओ-चैन मेरे,♥ 
♥कर देती है मदहोश ये मीठी सी मुस्कुराहट तेरी,♥ 
♥देख कर ही तुझको कट जाते हैं हर रैन मेरे |♥
♥•♥ दो पल के लिए तेरा हो जाने को दिल करता है,♥•♥ 
♥•♥ मदभरी इन आँखों में खो जाने को दिल करता है,♥•♥ 
♥•♥ दिल करता है छू लूँ तेरे इन नाजुक लबों को,♥•♥ 
♥•♥ तेरे आगोश में आके सो जाने को दिल करता है |♥•♥

Friday, August 10, 2012


हर कोई यहाँ मयकश है, हर कोई प्यासा खड़ा है,
कोई शराब में है डूबा,कोई किसीके आँखों में पड़ा है,
दुबे रहना ख्वाबो में बन गई यहाँ फितरत सबकी,
हर मयकश यहाँ स्वयं में एक दूजे से बड़ा है |
आ मेरे आगोश में, हसीं ख्वाब दूँ तुझे,
खो जाऊं तुझमे या बस आदाब दूँ तुझे,
जज्बातों की आँधियों में संग उड़ चलूँ तेरे,
कुछ सवाल मैं करूँ कुछ जवाब दूँ तुझे |
महंगाई बेशक फर्श से अर्श तक पहुंचा,
पर जमीर तो दिन-ब-दिन सस्ता हो रहा |
आने लगी हैं सदायें अब फूलों के चटकने की भी,

कि गुलिश्ताँ भी अब खिलने पे अफसोस कर रहा |

Monday, August 6, 2012


क्या हुआ जो तूने ये लब सिल रखे, आँखों ने तेरी सब बयां कर दिया,
माना प्यार है खामोशयों से तुझे, तेरी धड़कनों ने शोर यहाँ वहाँ कर दिया,
जज़्बातों को छुपाए रखो दिल में, ये एक हसीन अदा है तुम्हारी,
बचते रहे मुझसे अक्सर लेकिन, मेरे इश्क़ ने मशहूर तेरा जहां कर दिया |

Saturday, April 28, 2012


दिल चुराना है चुरालो, पर ये ख्याल रखना,
कीमती है बड़ा और कोमल भी, संभाल रखना ।
बिकते बाजार में हर चीज़ पर प्रेम नहीं,
पर मुझसे वो मिलेगा न मलाल रखना ।

Thursday, April 26, 2012


कभी आवाज दूं दिल से तो अनसुना न करना,
जो बाहें मैं फैलाऊ तो भागी चली आना,
माना कि दस्तूर है दूर से रिश्तें निभाने का भी,
पर दिल से ही सही मेरे पास में ही रहना ।

Thursday, January 19, 2012

बुलन्द हो इरादे तो राह निकलती है पर्वतों से भी,
कि हौसलों के आगे तो सारा जमाना झुकता है |
जोर जमाने में कितना है ये देखना बाकि है,
जो कहते हैं अपने, उन्हे आजमाना बाकि है,
बाकि है "दीप" घने साये से निकलना और निकालना,
रकीबों को असली पहचान दिखाना बाकि है |
कहते हैं वो सिर्फ नेता-पुलिस करप्टेड है,
पर वाईरस करप्शन का हर एक में इन्जेक्टेड है,
किस-किस से बच के चले सोचता है ये "दीप",
इस रोग से यहाँ हर एक शख्स इन्फेक्टेड है ।
ठण्ड पाँव पसार चुका है गहराई में,
दुबक गये हैं सब अपनी-अपनी रजाई में,
चलो चले एक ऐसी दुनिया, कहते हैं जिसे स्वप्न नगर,
खो जाते हैं निंदिया रानी के अंगड़ाई में |
खून में आज उबाल आने दो,
थोड़ा-सा फिर बवाल होने दो |
देखो सूरज की किरणों को,
वो हर आशा का संचार लेकर आती है,
हर अंधेरे का अंत प्रकाश में होता है,
ये हर रोज हमें सिखलाती है |
जा रहा है गत वर्ष, आ रहा है नव वर्ष;
सबका ही हो भला, और सब रहें सहर्ष |
जमाने के हर कदम से कदम मिलाता हूँ,
कभी हँसता हूँ खुद, कभी औरों को हँसाता हूँ ।
आता हुआ वक्त रखुँ सबके लिए यूँ ही हँसता हुआ,
नव वर्ष के पहले दिन यह बीड़ा उठाता हूँ ।
बादल बना है दुश्मन, छुपा रखा है चाँद को,
चाँदनी के इंतजार में कहीं रात न गुजर जाए ।
जानता हूँ दुनिया की हर एक रीत लेकिन,
अनजान बने रहना ही यहाँ बेहतर विकल्प है |
ऐ इंसान !!
सीख लिया गिरगिट की तरह रंग बदलना,
कुत्तों से थोड़ी वफादारी भी सीखी होती;
जिन्दगी निभाने के नाम पे कर चुके सारे ओछे कर्म,
असली वाली थोड़ी दुनियादारी भी सीखी होती |
आँखों पे छाये परदे को हटा के भी देखो,
ये दुनिया भी बेहद हसीन नजर आयेगी;
दिल होगा कुंभलाया, सब होगा बदरंग,
मुस्कान के साथ शमाँ रंगीन नजर आयेगी |
वो कहते हैं कि बड़े शरीफ हैं हम,
दिल में भक्ति के दिए हर वक्त जलते हैं;
जालसाजी भी करते हैं भगवान का नाम लेकर,
चोरी करने को भी दही खा के निकलते हैं |
राम नाम की बेला में,
उठ जा बंदे शौक से;
सेहत चंगी कर थोड़ी,

घुम आ थोड़ा चौक से ।
माना की ज़माना साथ नहीं,
पर कारवां तो शुरू एक से ही होता है;
सच है कि सब स्वार्थी हैं बने,

पर सबका भला तो एक बन्दे नेक से ही होता है |
पलकें झुकाना भी उनका अजीब है,
हर आदा उनका दिल के करीब है;
मनमोहिनी है उनका अंदाज-ए-बयाँ,
पायल का भी उनका अपना नसीब है ।