Wednesday, January 19, 2011

आँखों में लेके एक नूर कोई,
सपनो की दुनिया सच करने चली है;
अपनों के सपनों को दिल में लेकर,
दुनिया में अपना हक करने चली है|
राहों में बाधक हैं, मुश्किलें भी हैं,
पर खुद ही हर मुश्किल से लड़ते चली है;
दोस्तों को राहों में खुशियाँ परोसती,
बस खुशियाँ लुटाती ये उड़ते चली है|
सपनों को अपने है साकार करना;
भागती इस दुनिया में दौड़ते चली है|
अँधियारों में अपनी ही "रश्मि" फैलाती;
हवाओं का रुख भी मोड़ते चली है|

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