Tuesday, June 14, 2011

दिल की हस्ती किसी को क्या दिखाएँ "दीप",
गुम हो सकुँ ऐसा कोई मंजर नहीं मिलता;
नदियाँ तो अकसर मिल जाती हैं राहों में,
पर डूब सकुँ ऐसा कोई समन्दर नहीं मिलता ।

3 comments:

Shalini kaushik said...

नदियाँ तो अकसर मिल जाती हैं राहों में,
पर डूब सकुँ ऐसा कोई समन्दर नहीं मिलता
bahut sundar

पूनम श्रीवास्तव said...

pradeep ji bahut hi sunadar aur ghan bhav liye hue aapki shayari bahut hi achhi lagi.
badhai
poonam

लक्ष्मी नारायण लहरे "साहिल " said...

bahut sundar ...