मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Monday, October 21, 2013
दुआओं में अगर असर न होता,
अंधेरी रात का फिर सहर न होता,
न होती होठों पे खिलखिलाती हंसी,
हृदय को हिलकोरता ये लहर न होता |
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