मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Thursday, January 19, 2012
माना की ज़माना साथ नहीं,
पर कारवां तो शुरू एक से ही होता है;
सच है कि सब स्वार्थी हैं बने,
पर सबका भला तो एक बन्दे नेक से ही होता है |
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