Thursday, January 19, 2012

बुलन्द हो इरादे तो राह निकलती है पर्वतों से भी,
कि हौसलों के आगे तो सारा जमाना झुकता है |

1 comment:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह!!!!!प्रदीप जी,बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना

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