तू होती गई जब दूर मुझसे,
मैं तुझमे ही और खोता गया,
भीड़ बढ़ती गई महफिल में,
मैं तन्हा और तन्हा होता गया ।
तू खुद की ही करती रही जब,
मैं तेरे ही सपने पिरोता गया,
तू खुशियों में नाचती गाती रही,
मैं तो याद कर तुझे रोता गया ।
"प्रदीप"
मैं तुझमे ही और खोता गया,
भीड़ बढ़ती गई महफिल में,
मैं तन्हा और तन्हा होता गया ।
तू खुद की ही करती रही जब,
मैं तेरे ही सपने पिरोता गया,
तू खुशियों में नाचती गाती रही,
मैं तो याद कर तुझे रोता गया ।
"प्रदीप"
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