मेरी शायरी
-प्रदीप कुमार
Saturday, September 29, 2012
दिल में तुम हो, यादों में तुम हो,
मेरी तो हर जज़्बातों में तुम हो;
तुम ही हो मेरी फितरत में शरीक भी,
अब तो मेरी हर बातों में तुम हो |
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